कारवाँ इश्क़ का [ part 2 ]
By Amreshwar Srivastava [ Bhanu ]
आ बैठ करीब ज़िन्दगी तुझसे चंद गुफ्तगू कर लूँ,
उम्रदराज़ सा हो गया हूँ तेरी ख़ामोशी में बैठे-बैठे।
भानू श्री...
हमदर्द था हमराज़ था या कोई हसीन सा हमसाया था,ज़ुस्तज़ू थी डूब जाने की कुछ ऐसा समंदर मैंने पाया था।भानू श्री...
मखमली सी बातों में उनके हम इस कदर खो गए,नूर की चाहत थी और वो कोहिनूर हो गए।।।भानू श्री।।।
चुपके से मेरी ख़ामोशी सुन लेते तो क्या बात थी,
सपने मोहब्बत के फिर बुन लेते तो क्या बात थी।बहता रहा मैं हवाओ में तेरा साज़ बनके,काश तुम वो धुन सुन लेते तो क्या बात थी ।
सपने मोहब्बत के फिर बुन लेते तो क्या बात थी।
Jab se tere pyaar Ke kabil hue hai Is sari kaynat Ke mukabil hue hai hum Aana hi tha tere dil me Dekh andaje badsah se dakhil hue hai hum
Post a Comment