उनके किरदार ही खुश्बू तो था एक बहाना ,
इरादा तो था उन्हें खुद के और करीब लाना ।
इक लिबास सी थी उनकी मोहब्बत मेरे बदन पे
बुनने लगा था मैं उनके इश्क़ का हसीं ताना बाना ।
कुछ अनकहे से बात बाकी है
कुछ कागज़ात बाकी है,
हिस्से में थी मेरे उनकी मोहब्बत जितनी,
अब भी वो जायदाद बाकी है ।
था मैं तेरा ही आईना कहाँ कब  तूने मुझे अपना समझा,
टूटा भी तो तेरे ही लिए
रूठा भी तो तेरे ही लिए ।
जाने क्यू अच्छी लगती है उन्हें मेरी ये फरेबी बाते,
हर बार दूर जाने की जिद में बीत जाती है वो हसीं रातें।
कुछ तो राज़ है तेरी आँखों में,
मेरे सामने आते ही नम सी हो जाती है

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