सिन्धी और उसकी पत्नी एक मेले में
गए।
वहां एक हेलीकाप्टर आया हुआ था, जो मेले
का चक्कर लगवाने के 100 रुपये लेता था।
सिन्धी हेलीकाप्टर
की सवारी नहीं करना चाहता था, पर
उसकी बीवी करना चाहती थी ।
सिन्धी : "तू पांच मिनट की सवारी करके कोनसा रानी बन जाएगी, 100 रुपये आखिर
100 रुपये होते है।
पत्नी फिर भी जिद कर रही थी, और
सिन्धी बार-बार यही कहे जा रहा था की:
"समझा कर, 100 रुपये आखिर 100रुपये होते
है यार"
उनकी बातचीत पायलट ने सुन ली वो बोला।
पायलट: "सुनो मैं तुम लोगो से कोई
पैसा नहीं लूँगा, लेकिन शर्त ये
होगी की सवारी के दोरान तुम दोनों में से कोई
भी एक शब्द भी नहीं बोलेगा, और अगर
बोला तो 100 रुपये लग जायेगे"
उन्होंने ये शर्त मान ली, पायलट ने उन्हें
पिछली सीट पर बिठाया और उड़ गया। आसमान
में पायलट ने खूब कलाबाजिया की ताकि उन
दोनों की आवाज निकलवा सके
पर पीछे की सीट से कोई नहीं बोला,
आखिर जब वो नीचे उतरने लगे तब पायलट ने
कहा: "अब तुम बोल सकते हो। ये बताओ, मेने
इतनी कलाबाजियां की तुम्हे डर नहीं लगा, ना तुम
चीखे ना चिल्लाये"
सिंधी बोला: "डर तो लगा था...
उस वक़्त तो मेरी चीख निकल ही गयी होती जब
" पत्नी नीचे गिरी "
पर यार 100 रुपये आखिर 100 रुपये होते है"
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