बहुत ही सुंदर पंक्तियां भेजी है, फारवर्ड करने से खुद को रोक नहीं पाया.....
"व्यवहार मीठा ना हों तो, हिचकियाँ भी नहीं आती,
बोल मीठे न हों तो,
कीमती मोबाईलो पर घन्टियां भी नहीं आती।
घर बड़ा हो या छोटा,
अग़र मिठास ना हो तो,
ईंसान तो क्या, चींटियां भी नजदीक नहीं आती"|
जीवन का 'आरंभ' अपने रोने से होता हैं.., और जीवन का 'अंत' दूसरों के रोने से,
ये भी पढ़े -एक महिला से पूछा गया सवाल .
इस "आरंभ और अंत" के बीच का समय भरपूर हास्य भरा हो,बस यही सच्चा जीवन है...!!!
हे प्रभु न किसी का फेंका हुआ मिले,
न किसी से ..छिना हुआ मिले,
मुझे बस मेरे.. नसीब मे लिखा हुआ मिले,
ना मिले ये भी तो कोई ग़म नही मुझे बस मेरी मेहनत का किया हुआ मिले।
बस इतना देना मेरे मालिक,
अगर जमींन पर बैठूँ तो लोग उसे मेरा बड़प्पन कहें मेरी औकात नहीं....
ये भी पढ़े-लोग सच कहते हैं - औरतें अजीब होतीं है

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